आपका घर आपका घर
तुमसे दोस्ती जीने लगे थे हम भी कभी -कभी तुमसे दोस्ती तुमसे दोस्ती जीने लगे थे हम भी कभी -कभी तुमसे दोस्ती
बेमतलब से हैं हम और जीवन का उत्सव मना रहे हैं। बेमतलब से हैं हम और जीवन का उत्सव मना रहे हैं।
मन की गांठें है कि खुलती नहीं। मन की गांठें है कि खुलती नहीं।
डॉ अशोक गोयल डॉ अशोक गोयल
कभी हम चले जाएं कभी तुम चले जाओ। कभी हम चले जाएं कभी तुम चले जाओ।